आज ब्लोग जगत के कुछ ब्लोगरो के पुराने विवादो को लेकर की जा रही कार्यवाही के दौरान हुए एक और विवाद से पाला पडा हैं,
बदकिस्मती से इस बार के विवाद में नारद जी को भी घसीटा जा रहा हैं,
इस कार्यवाही में एक ब्लोगर की कुछ बातें आयोजक को पसन्द नही आयी, कि वे बैठक के दौरान बार बार टेलीफ़ोन पर बातें कर रहे थे! सही भी हैं, आप किसी कार्यक्रम में जायें तो वहां की मर्यादा बनाकर रखी जाये! जबकि वह ब्लोगर भी आयोजक मंडल का मुख्य सदस्य था!
खैर चाहे जो कुछ भी हुआ, इसके उपरांत जब निर्भीक खबरी "नारद" ने तथाकथित विवादित पत्र्कार ब्लोगर से उस आयोजन के बारे में जानकारी लेनी चाही तब वे अशालिन भाषा का प्रयोग करने लगे चुंकि वे उस बैठक से आये थे और विवादित हो जाने के कारण उनका "मूड" ठीक नही था!
और आज सुबह सुबह उन्होनें निर्भीक खबरी "नारद" को फ़ोन करके कहा कि आप अपने मित्र जो कि आयोजक भी हैं उन्हे फोन करिये और मुझसे बात करके बात रफ़ा दफा करने के लिये आग्रह किजिये,और कहिये कि मुझसे माफी मांगे!
चुंकि इससे पुर्व उक्त आयोजक मित्र से भी चेट पर हुई बात में उन्होने नारद को विवादित ब्लोगर से बात करने को कह दिया था! और कहा था कि उसे मुझसे बात करने का कहे!
अतः निर्भीक खबरी ने आयोजक को ये सन्देश भेजा कि आप बात कर लें, और वो कह रहे हैं कि आपने अच्छा व्यवहार नही किया! और ये सुझाव दिया कि बात करके मामला रफ़ा दफा कर लेवें,
तो आयोजक फ़ोन करके निर्भीक खबरी को कहते हैं कि आप हमारे मामले में कुछ मत बोलो, ये आपके लिये अच्छी बात नही होगी!
उसके बात फिर उस ब्लोग्गर का फोन आया क्या हुआ ?
निर्भीक खबरी ने निर्भिकता पुर्वक कह दिया आपका मामला आप जानें, वो भी हमारे मित्र हैं और अब आप भी, तब ये ब्लोग्गर बोले कि मैं अब उस आयोजक के खिलाफ लिखुंगा, आप टिप्प्णी देंगे क्या!
उनमें घमन्ड आ गया हैं,
निर्भीक खबरी की ओर से आज मैं ये खुलासा करता हूँ कि निर्भिक खबरी के लिये कोई भी मित्र नही है और कोइ भी शत्रु नही हैं,
हम तो ब्लोग मंत्रालय के पक्ष में हैं ( ना हैं कोई जुनियर, ना है कोई सीनियर, सबसे पहले हैं यारों, हम सारे ही ब्लोगर) और निर्भिक खबरी आपका अपना मंच हैं इसमें ब्लोग जगत की हर हल्चल पर नजर रखने के साथ साथ उस पर निर्भीकतापूर्वक एवं बेबाकी से सुचना दें और उस पर बेबाकी से टिप्पणी दें
Tuesday, June 15, 2010
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जहाँ पर ढेर सारे बर्तन होंगे...वहाँ कुछ ना कुछ आवाज़ तो आएगी ही...इसमें नया क्या है?..ये सब मान-मनौव्वल चलता रहता है
ReplyDeleteपर ये ज्यादा बडा मामला हैं, चले थे संघठन बनाने एक फ़ौज लेकर, और उसी फौज में मनमुटाव हो गया!
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